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यूनिटेक लिमिटेड केस स्टडी: शेयर ₹28 से ₹14,000 और फिर ₹0.37 तक कैसे पहुँचा?

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(@admin_rgj0igbq)
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यूनिटेक लिमिटेड का केस शेयर बाजार में अति उतार-चढ़ाव, कॉर्पोरेट गवर्नेंस की विफलता और मार्केट सेंटिमेंट का एक बेहतरीन उदाहरण है। आइए समझते हैं कि कैसे यूनिटेक का शेयर ₹28 से बढ़कर ₹14,000 तक पहुँचा और फिर ₹0.37 तक गिर गया।


1. यूनिटेक का उदय: ₹28 से ₹14,000 तक (2004-2007)

2000 के दशक में भारत में रियल एस्टेट बूम चल रहा था, और यूनिटेक इसका प्रमुख लाभार्थी बना।

क्यों बढ़ा शेयर प्राइस?

 रियल एस्टेट बूम (2004-2007)

  • भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी (GDP ग्रोथ ~9%)।

  • घरों और कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग बढ़ी।

  • यूनिटेक ने जमीन खरीदकर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए।

 बोनस शेयर और स्टॉक स्प्लिट

  • यूनिटेक ने बार-बार बोनस शेयर और स्टॉक स्प्लिट किए, जिससे शेयर की संख्या बढ़ी और कीमत "सस्ती" दिखने लगी।

  • उदाहरण:

    • 2005: 5:1 बोनस इश्यू

    • 2006: 10:1 स्टॉक स्प्लिट

    • 2007: फिर 5:1 बोनस इश्यू

  • इन कार्रवाइयों से शेयर प्राइस आर्टिफिशियली बढ़ा हुआ दिखा।

 सट्टेबाजी और हाइप

  • निवेशकों को लगा कि प्रॉपर्टी की कीमतें हमेशा बढ़ती रहेंगी।

  • FII (विदेशी निवेशक) और रिटेल ट्रेडर्स ने पैसा लगाया।

 जनवरी 2008 में शीर्ष (₹14,000)

  • स्प्लिट एडजस्ट करने पर यूनिटेक का शेयर ₹14,000 (प्री-स्प्लिट) तक पहुँचा।

  • मार्केट कैप ₹90,000 करोड़ को पार कर गया।


2. पतन: ₹14,000 से ₹0.37 तक (2008-2020)

यूनिटेक का पतन बेहद तेज और विनाशकारी रहा।

A. 2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस

  • लेहमैन ब्रदर्स का पतन (सितंबर 2008) हुआ, जिससे पूरी दुनिया में मंदी आ गई।

  • रियल एस्टेट की मांग गिरी, यूनिटेक के प्रोजेक्ट्स रुक गए।

  • 2008 में ही शेयर 90% से ज्यादा गिर गया।

B. कर्ज का संकट और मैनेजमेंट फेलियर

  • यूनिटेक ने जमीन खरीदने के लिए बहुत ज्यादा कर्ज (~₹10,000 करोड़) ले लिया था।

  • सेल्स गिरने से कर्ज चुकाने में असमर्थ रहा।

  • बैंकों ने इसे NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) घोषित कर दिया।

C. 2G स्पेक्ट्रम घोटाला (2011)

  • यूनिटेक के प्रमोटर्स पर 2G स्पेक्ट्रम घोटाले में गड़बड़ी का आरोप लगा।

  • CBI ने MD संजय चंद्रा को गिरफ्तार किया, जिससे निवेशकों का भरोसा टूटा।

D. दिवालियापन और डीलिस्टिंग (2017-2020)

  • 2017: SEBI ने फंड जुटाने पर रोक लगाई।

  • 2018: NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) ने दिवालियापन प्रक्रिया शुरू की।

  • 2020: शेयर ₹0.37 तक गिर गया और ट्रेडिंग रोक दी गई।


3. यूनिटेक केस से सीख

  1. स्टॉक स्प्लिट/बोनस शेयर धोखा दे सकते हैं

    • ये कंपनी की असली वैल्यू नहीं बढ़ाते, बस शेयरों की संख्या बढ़ाते हैं।

  2. ज्यादा कर्ज कंपनी को डुबो सकता है

    • अगर सेल्स गिरे, तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाता है।

  3. कॉर्पोरेट गवर्नेंस मायने रखता है

    • घोटालों (जैसे 2G स्कैम) से निवेशकों का भरोसा टूटता है।

  4. सेक्टर साइकिल का असर होता है

    • रियल एस्टेट में उतार-चढ़ाव आम है, ओवरएक्सपोजर खतरनाक हो सकता है।

  5. रेगुलेटरी एक्शन का असर होता है

    • SEBI, NCLT जैसी संस्थाएँ कंपनियों को बर्बाद कर सकती हैं।


अंतिम सबक

यूनिटेक का सफर ₹28 → ₹14,000 → ₹0.37 यह दिखाता है कि हाइप, ज्यादा कर्ज और खराब मैनेजमेंट किसी भी बड़ी कंपनी को बर्बाद कर सकते हैं। निवेश से पहले फंडामेंटल्स, कर्ज और मैनेजमेंट की ईमानदारी जरूर चेक करें।

क्या आप किसी और कंपनी का ऐसा विश्लेषण चाहेंगे? बताइए!

 
 
 
 
 
 
 
Posted : 10/05/2025 11:56 am
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